Monday 9 May 2016

बाकी था, बाकी है..

तुम आये, हमने देखा,
     तुमने बोला, हमने सुना...
फिर क्या, मेरे साथी रह गया था !
      
      हर वक्त, हर लम्हा,
       हर सांस, हर साज़...
 सब तुमसे और तुम्हारा हो गया था !
       
        कुछ रातें, कुछ बातें,
        कुछ अनकही सौगातें...
देनी हैं तुम्हे, जो बाकी रह गया था !
        
        हम बेबस, हम पागल,
        हम बेचैन,हम घायल...
सब हुए थे हम, और मन जज़्बाती रह गया था !
        
        एक इकरार, एक इज़हार,
        ज़िंदगी भर का इंतज़ार..
ही बाकी था "हमेशा", और अब भी बाकी रह गया था..!!

       

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