1.
क़ब्र पर सिर रखने से क्या होगा...
कोई रहता है वहीं पर उठता नहीं !
2.
मुक़म्मल जहाँ में शिक़वे हज़ार हैं
ग़मज़दा हैं सब, कोई कहता नहीं !
3.
उस मोड़ से मुड़ती है ज़िंदग़ी इस क़दर..
रात दिखती है मगर, दिन होता नहीं..!
4.
निगाहों ने देखें हैं नज़ारे कई
जो चाहा मगर वो दिखता नहीं....!!
क़ब्र पर सिर रखने से क्या होगा...
कोई रहता है वहीं पर उठता नहीं !
2.
मुक़म्मल जहाँ में शिक़वे हज़ार हैं
ग़मज़दा हैं सब, कोई कहता नहीं !
3.
उस मोड़ से मुड़ती है ज़िंदग़ी इस क़दर..
रात दिखती है मगर, दिन होता नहीं..!
4.
निगाहों ने देखें हैं नज़ारे कई
जो चाहा मगर वो दिखता नहीं....!!
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