Tuesday 31 May 2016

मैं तुम्हें लिखूँ

 जब होश मेरे कहीं खो जायें,
जब ख़्वाबों  का कहीं ठिकाना न रहे
जब छोड़ दें साथ साये....
मैं तुम्हें लिखूँ....

बरबाद होने लगें किरदार हकीकत में,
धोखे मिलने लगें सभी अपनों से,
संभाल कर रक्खूँ तुम्हें अपनी अमानत में....
फिर तुम्हें लिखूँ !

टकरायें आवाजें दीवारों से,
हर लफ़्ज गिर पड़े हताश होकर,
गूँजें सन्नाटा दिशाओं चारों से..
तब तुम्हें लिखूँ!

बेतरह बिखरे बाल शिकायतें करें,
थके जिस्म को इत्मिनान की आरज़ू जगे,
धड़कनें रुकें, साँसें अदावत करें....
मैं तुम्हें लिखूँ......!!!

Sunday 29 May 2016

Seela Takiyaa

Raat kuchh saaman chhod gayi hai pichhe,
Lekin meri neendo ko lekar sath gayi,
Kion seela hai takiya... Humne to suna tha ki barsaat gayi,

Jagne walon ki koshish rahi nakaam aise,
Hairan hain ki khuli aankhon mein tere khwaab aaye kaise,

Subah hogi to fir khyaal koi naya sa hoga,
Socha tha yehi lekin...tum hi thehre ho raat se aankhon mein,
Fir kuchh aur meri aankhon se nazar aaye kaise,

Baat zamane ki iss dil ko hum samjhayein kaise,
Chahta tha ki kar luunga woh dil se har zirah,
Hum dil se... dil humse magar haar jayein kaise,

Aur 'gar haar b jaayein to ye khud ko batayein kaise,
Ki jeete koi bhi... Hamari aadaton se tu lekin jayega nahin,
Jo tujhme haara hai vo dil se bhulaayein kaise,

Kaise hoga mumkin ki iss raah se ab kahin aur mera mud jana hoga,
Hoga kuchh bhi magar naa kahin aur na kisi se mera jud paana hoga,

Hum milenge... shayad isliye hi usne abtalak bichhadne na diya
Raahein niklin thin nayi, un raahon se guzarne naa diya,

Khuda kaash ek din aisa kar jaye...
Tu maange mujhe, aur fir mujhe tu mil jaye,
Raat ho gayi bahut lambi ye... Hona chahiye ki ab yahan din khil jaye,

 Dhoop ki chaadar odhe, koi sath mere jab hoga,
Tu hoga haasil to haasil rabb hoga,

Jaane kitne tareeqon se tujhe maanga hai,
Sach bata kya tune mujhe maanga hai?
Ya shayad koi dhoka h, ya fr koi tera bahaana hai,

Thak gaya hun Mija... Ab shayad sukoon aankh moond kar hi aana hai..

Wednesday 25 May 2016

आँखें

My favorite and first Swalekha Topic
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#आँखें.   

प्रेम की भाषा जटिल, समझ सकै ना कोय
मन पल पल विचलित करे, नैन देत हैं रोय

गिरत उठत दो नैनन की जोड़ी..
थोड़ी है लाज, बरबस है थोड़ी

बहोत है इंतज़ार, कब वो शाम आयेगी
दिल है बेकरार, आँखें क्या पैगाम लायेंगी

पैगाम ए मुहब्बत को हम वो मुकाम दे दें
खामोश रहें हम, आँखों आँखों में सलाम दे दें

नैन मिले या ना मिलें, मोहे पिया मिलें इक बार
जीवन जीना छोड़ दूँ, मैं मर जाऊँ सौ बार...

बेचैन हो रोती हैं, कहती कुछ ना, ना सोती हैं
जाने क्यों बात नहीं सुनती, अपनी ही ज्योति खोती हैं..

संभल कैसे जाऊँ, क्यों बात सुनूँ तेरी
देखा क्यों उसे, कहती हैं आँखें मेरी


नैनन से वार करूँ, कलम से कर दूँ हार
वाणी को विराम दे, निद्रा को दे द्वार.     ;)    ;p

Wednesday 18 May 2016

Bas Bane Rahnaa

Bas bane rahnaa

Duaa koi bhi kare, kahin bhi kare
Tum bas "meri" ibaadaton me bane rahnaa..

Jism se rooh tak, jo chal padi hai daastan
Un qisson ki deewangii me bane rahnaa

Nihaaroon mai us tarah se k bas tum hi tum dikho
Meri nazron ki aawaragi me bane rahnaaa

Chhoo lena kabhi neendon me aakar mujhe
Din chadhe to yaad rakhna, Sahar se shaam karna, 
khwaabon me bane rahnaa

Hona naa duur kabhi..
khyaal rakhna..."Dil" ki dil se khabar rakhna,  
Thoda waqt dena "aur"  yaadon me bane rahnaa..

Bas bane rahnaa





Thursday 12 May 2016

कहाँ तक...

कहाँ तक
चलोगे, मेरे साथ कहाँ तक

राहों की अटकलें राहें छिपायेंगी
रंजिश है मुझसे, तुमसे निभायेंगी
मंजिल अपनी फ़लक बन जायेगी
साथ दोगे कहाँ तक

सदियाँ बितायी हैं जैसे कुछ सालों में
ज़ाया, जी भर किया है वक्त तालों में
मेरी हसरत, तुम्हारी कैद बन जायेगी
साथ रहोगे कहाँ तक

ख्वाहिशें साँसों की मरीज़ ना हो जायें
बेफिक्री, बंदिशों की अजीज़ ना हो जायें
डर है, किस्मतें बंद किताब बन जायेंगी
   साथ निभाओगे कहाँ तक

करीने से जिंदगी चल रही होगी 
खुशी होगी, राह मिल रही होगी. ..!
फिर, दिल्लगी बेहिसाब हो जायेगी
कोई साथ था, बताओगे कहाँ तक

चलोगे मेरे साथ कहाँ तक....



Kahaan tak
Chaloge mere saath kahaan tak

Raahon ki atkalein raahein chhipayengi
Ranjish hai mujhse, tumse nibhaayengi...
Manzil apni falaq ban jaayegi,
     Saath dogay kahaan tak..

Sadiyaan bitaayi hain kuchh saalon me,
Zaaya, jee bhar kiya hai waqt taalon me...
Meri hasrat tumhari qaid ban jayegi..
     Saath rahogey kahaan tak

Khwaahishein, saanson ki mareez naa ho jaayein,
Befikri, bandishon ki ajeez na ban jaayein...
Darr hai...qismatay band kitaab ban jaayeingi...
Saath nibhaogey kahaan tak..

Kareene se zindgi chal rahi hogi,
Khushi hogi, raah mil rahi hogii..
Fir dillagi behisaab ho jayegi..
   Koi tha saath, bataaoge kahaan tak

Chalogey mere sath kahan tak..

ना तोड़ो

ना तोड़ो

वो शज़र जिसकी छाँव में कोई खेला था,
सूखा है अब, साँसे कुछ बाकी हैं...
साया है कुछ पत्तियों का, ना तोड़ो..

वो रखी हुई कलम कभी लिखती थी,
जिसमें कुछ शब्द, कुछ एहसासात रहे थे..
उस स्याही की बोतल को, ना खोलो

मकाँ की दहलीज़ पे फरिश्ते आते थे,
रौनक थी बेशुमार, दीवारें बोलती थीं..
अब है वो ज़ार-ज़ार, दहलीज ना छोड़ो ,

माँ हो गई है बूढ़ी, बाप रहता है बीमार
खामोश रहते हैं, नहीं है कोई तलबगार
सहारा हो तुम, उनसे यूँ मुँह ना मोड़ो..

हाँ ! कोई इश्क भी था तेरे आस पास,
चाहत थी, और बगावत भी थी साथ..
सब हैं कहाँ, उनसे रिश्ता ना तोड़ो 

ना तोड़ो ..!!

Wednesday 11 May 2016

Khyaal

सोये हों ख़याल अँधेरी रात में
बारिश की खुशबू दरवाज़े पर आये

भीगी भीगी सी कोशिशों से तुम मुझे मनाना
राज़ बेपर्त करना दिलों के, धीरे से मुस्कुराना...!!!


Soye hon khyaal andheri raat me..
Baarish ki khushbu darwaazey par aaye..

Bheegi bheegi koshishon se tum mujhey manaana
Raaz bepart karna dilon ke..
Haule se muskuraana

Tuesday 10 May 2016

आज बारिश है

आज बारिश है
सारे ख़्वाबों को भिगोने,
सारी हसरतों को इक धागे में पिरोने की साजिश है
आज बारिश है

बरस रहे हैं बादल कुछ बेरुखी से
पूछा भी नहीं इक बार जमीं से
बस कर ऐ बादल, जमीं की गुजारिश है..
आज बारिश है.

बहलाकर लाये हैं बादल पानी को साहिल से
जो बरसा है टूटकर दीवानी घटाओं से मिल के
अब फिर कभी आना , दीवानों की सिफारिश है

आज बारिश है

क्या करें क्या न करें

आँखें बोलें मेरी तुम्हें देखा करें,
आहें बोलें मेरी तुम्हें चाहा करें...
            कश्मकश है बड़ी, तुम्हें लेकर हमें,
             कि इबादत करें या कि शिकवा करें..

इश्के उल्फ़त पर फ़ना होने वाले सभी,
दिवानों के संग हम बैठा करें...
        अक़ीदत है फिर भी, क़यामत है ये
        उनकी सोहबत से कुछ भी ना सीखा करें

गुज़रना पड़ा था इक गली से कभी
उस गली को ही मंज़िल अब जाना करें

मुस्कुराहट तो जैसे कि खिलती किरन 
हम चोरी छिपे नज़रें सेंका करें
         बेरुख़ी भी तुम्हारी ग़जब ढा रही...
          तुझमें क्या है  अलग हम सोचा करें,
        
तस्वीरें कई हैं, मेरे घर में तेरी...
बड़ी शिद्दत से उनको संभाला करें,
          हो जाओगे बेफ़िक्र अपना वादा है ये
          इससे बढ़कर तुम्हें क्या बताया करें

तौल लेना कभी तुम शराफ़त मेरी
वफ़ा बेवजह हम ना गाया करें
         कर लीं हैं बहुत...मिन्नतें अब तेरी
         तेरी मर्जी है ...जो तू ना आया करे

देख लेना मगर, ग़र ज़रूरत पड़े....
तेरा हक़ है, मुझे तू बुलाया करे..!

Monday 9 May 2016

Munaasib hai

Raahon ke guzarne pe gham kaisa
Aage badhna hi munasib hai

Manzilon ki chaah rahti hai sabko
Daur to aate jaate rahte hain...
Gham-E-daur bhi aana munasib hai

Tu akela kabhi tha hi nahi..
Pal pal kuchh saaye, pichha karte rahe hain
Ab un saayon ka saaya padna munasib hai

Rahi zindgi hairan, pareshaan zindgi bhar
Gar,  zindadili hi zindaa rahi 
To tera zindaa rahna munasib hai



बाकी था, बाकी है..

तुम आये, हमने देखा,
     तुमने बोला, हमने सुना...
फिर क्या, मेरे साथी रह गया था !
      
      हर वक्त, हर लम्हा,
       हर सांस, हर साज़...
 सब तुमसे और तुम्हारा हो गया था !
       
        कुछ रातें, कुछ बातें,
        कुछ अनकही सौगातें...
देनी हैं तुम्हे, जो बाकी रह गया था !
        
        हम बेबस, हम पागल,
        हम बेचैन,हम घायल...
सब हुए थे हम, और मन जज़्बाती रह गया था !
        
        एक इकरार, एक इज़हार,
        ज़िंदगी भर का इंतज़ार..
ही बाकी था "हमेशा", और अब भी बाकी रह गया था..!!

       

Saturday 7 May 2016

माँ

हे ! जननी...
इस जीवन का है भार बड़ा
ये जीवन तेरा साया है,
   तेरे साये की छाँव तले....
   रहना है....कर उपकार बड़ा ।

हे ! जननी ...
ज्यों पंछी बिना परों के हों,
ज्यों रात अमावस वाली हो..
   ज्यों सूर्यग्रहण का दिन हो वो
   तेरे बिन मैं हूँ, रिक्त घड़ा ।

हे ! जननी..
तूने पाला, तूने समझा,
तूने ही मुझे सँवारा है...
    तेरे ऊपर क्या लिक्खूँ मैं
    नतमस्तक हूँ, एकान्त खड़ा

हे! जननी....

जो संग वो खड़ी थी

जो संग वो खड़ी थी..

मेरे जन्म की वो शुभघड़ी थी
मैं रोया था जब, तो वो रो पड़ी थी
जो संग वो खड़ी थी

पाठशाला से पहले गुरू वो मिली थी
हर जुबाँ याद हैं ज्यों, अभी कल पढ़ी थी
जो संग वो खड़ी थी

बड़ा जब हुआ मैं, हमराज़ बन गई वो
कही दिल की सब, जो जरूरी बड़ी थीं
जो संग वो खड़ी थी

सिरहाने आज भी वो, बैठ जाती है जब
लगे हर बला भी, हाथ जोड़े खड़ी थी

जो संग "माँ" खड़ी थी...

कुछ की कमी हो गई

कुछ मिला तो ..'कुछ' की कमी हो गयी
आँखें सूखी ही थीं, कि फिर शबनमी हो गई

 जुस्तजू तो हकीकत में कुछ भी नही
 बेवजह ख्वाहिशों की जमीं हो गयी

मुकर्रर हुईं थीं, हमारे लिये
उन गिरहों की फिर से लड़ी हो गयीं

बाखबर, बासबब सब तो रहते हुए
बेशिकन ही रहे, तुम हमीं हो गये

चमकते हुए रास्तों पर जो गये
वो राहें अचानक....अनमनी हो गयीं

जिस्म लेकर हमारा, हम कब तक चलें
जिस्म जर्जर, तो रूहें थकी हो गईं....।


Friday 6 May 2016

Baat

Kitni shaamein guzri hain
Kitni subahein beet gayin
Vo baat jahan par thahri thi
Vo baat vahin par baith gayi

     

Thursday 5 May 2016

रुक जाओ अभी..

रुक जाओ अभी कुछ कहना है
थम जाओ अभी कुछ कहना है...
उस दिन की बात अधूरी है
इस रात का भी कुछ कहना है..

 अब जब तुम पास मेरे हो तब,
कुछ समझ नहीं बाकी मुझमें....
मैं क्या बोलूँ, क्या ना बोलूँ, 
इस बात का फिर से रोना है ।

जज्बात मेरे तुम जान गये ,
फिर भी तुम क्यूँ चुप बैठे हो !
 जो कहना है, तुम ही कह दो ...
ये लम्हा अब ना खोना है ।

इन हाथों को क्यों बाँधे हो...
क्या भूल गये, क्या बोला था!
 "मेरे हाथों को लेकर तुमको..
मेरी आँखों में खोना है..."

एक बार जरा तुम छू लो तो
सारी मुश्किल हल हो जाये
मेरी  साँसों को साँस मिले
जिन साँसों को अब खोना है

रुक जाओ अभी कुछ कहना है ।
थम जाओ अभी कुछ कहना है....!!





मगर

1. 
क़ब्र पर सिर रखने से क्या होगा...
कोई रहता है वहीं पर उठता नहीं !

2.
मुक़म्मल जहाँ में शिक़वे हज़ार हैं
ग़मज़दा हैं सब, कोई कहता नहीं !

3.
उस मोड़ से मुड़ती है ज़िंदग़ी इस क़दर..
रात दिखती है मगर, दिन होता नहीं..!

4.
निगाहों ने देखें हैं नज़ारे कई
जो चाहा मगर वो दिखता नहीं....!!

कोयल :)(:

चंचल पत्तों से हो हताश,
बोली कोयल करके विलाप...

क्यों तुम मुझ पर हँसते हो,
     मेरा कोई, न घर न बार..!
परिहास सदा क्यों करते हो
    
हर पंछी का है अपना राग,
    मैं हूँ श्यामा, है मधुर राग...!
वृक्षों पर बैठ कर करती हूँ 
इस जग का नित नया साज
    
बस हृदय लुभाती हूँ सबका,
    करती न नीड़ का इक प्रयास..

हर साल नये तुम उगते हो.
फिर मुझसे शोभा पाते हो

  फिर क्यों तुम मुझ पर हँसते हो


बोलो ये कैसा हो

   तुमसे तुमको माँगा है
   बोलो ये कैसा हो,

रंग भरे अरमानों पर, 
कुछ गीत प्यार के सज जायें..
   उन रंगीले गीतों में भी, 
   कोई अफसाना तुम सा हो

अंजानी बातों से ही,
आने वाला कल पहचानें ...
हम आज जियें, हम आज मरें
फिर ना जाने कल कैसा हो..
   
 रुख़ मोड़ लिया जब दुनिया से,
     फिर तुम क्यूँ आये आगे..
अब सोच लिया हमने ऐसा,
कोई साथ हमारे तुम सा हो

 देखो तुम भी कुछ समझो तो !
  अपनी बंजारन धड़कन से..
वो बोल रही "तुम भाग रहे" 
ना कोई तुम्हारे जैसा हो...
  
तुम भी दे दो, ख़ुद को मुझको
   फिर कोई अफसाना हो वो,
जो दरिया साहिल जैसा हो..!!
  
तुमसे तुमको माँगा है,
अब बोलो ये कैसा हो..!!

'Gar aisa Hota

बंजारों से दौड़ते ख़यालों को काफ़िला मिलता,
रूह को, बदन के बंधनों से फ़ासला मिलता
  नज़र आता कोई अंधेरे में भी ग़र....
रात को आफ़ताब का आसरा मिलता..!

क़िताबों की तहों में दफ़न हैं जो फूल,
साँस लेकर उन्हें, बिखरने का हौसला मिलता..

जज़्बा ए ज़िक्र की सरेआम तौहीन न होती,
गुल-ए-यकीं ग़र , हमारे दरम्यां खिलता....
दिलों के सौदे को यूँ हीं नहीं किया करते..
जाकर देख ऐ पागल ! दूजी दुनिया में
जहाँ ख़ुदा भी समझकर फ़ैसले करता..!     

कब तक

कब तक ज़िद लिये बैठे रहोगे
     वहाँ नूर है, जन्नतों का समाँ है
     उसकी रूह पर ख़ुदा का इमाँ है
यादें उसकी लिये रोते रहोगे

हर शख्स यहाँ आया है, कुछ पल के लिये
राह छोड़ेगा वो, फिर ना मिलने के लिये
   कब तक गुमराह तुम होते रहोगे
   कब तक ज़िद लिये बैठे रहोगे

 आसमाँ के सिकंदर को मना पाना मुमकिन नही
सोचोगे,
तुम पा लोगे उसे लेकिन नहीं
   जर्ज़र जिस्म लिये थकते रहोगे
   कब तक ज़िद लिये बैठे रहोगे

 कभी ख़्वाब देख लेना, भले झूठा ही सही
दिल को संभाले रखना, वो टूटा ही सही
    हो दुनिया में तो दिखते रहोगे
    कब तक......