Tuesday 19 July 2016

संग अँधेरों के

मुझे आहट नहीं होती अब कोई
कदाचित् सत्य मरने वाला है मुझमें
अँधेरों से वार्ता भी होती रहती है..
अपनी तरह एकांत नहीं छोड़ना चाहता उन्हें

जब स्पर्श करती है रात मुझे
सिहरन सी दौड़ती है..शिराओं में
उत्तेजित होता है जब चन्द्रमा..
सितारे मलीनता धारण कर लेते हैं
सिर्फ़ सुनाई देती है फिर उल्काओं की ध्वनि

अनायास चला जाता हूँ मैं उनके साथ..
रात इस प्रकार दूर होती जाती है..
परंतु तिमिर क्षितिज तक संग चलता है
भाता है उसे मेरा संग..
मुझसे की गयी वार्ता....
ना जाने किस घड़ी से साथ हुआ है वो मेरे..
वापस भेजना चाहता हूँ उसे..
स्वयं से दूर..

मैं तो प्रकाश पुँज था..
शोषित कर लिया जिसने उसे..
दिन निकलते ही छिप जाता है मुझमें
करता प्रतीक्षा रात की..

मैं निरीह, उपेक्षित, सोचता स्वयं को..
हो जाता हूँ सबके अधीन..
नहीं सोच पाता अधिक...स्वयं के बारे में..
यह चेतनाशून्य सा हृदय...
अनवरत अँधकुँज में क्रंदन कर पुकारता है..
रक्त राख की भाँति उड़ता है..
सदेह अग्नि में उपस्थित होने का आभास..
सिंचित करता है ताप, एवं..
अन्य आभासों को नष्ट कर देना चाहता है..
कदाचित् इसीलिये..
मुझे आहट नहीं होती अब कोई !!

Wednesday 13 July 2016

...Ishq Karo

Mujhse nahi mere alfaazo'n se ishq karo,
Jismo'n se uth kar zazbaato'n se ishq karo....

Rahna h 'gar zinda meri chaahat me

Yakeen karo mujh pe, meri yaado'n se ishq karo

Bagaawat karo....
zurrat karo raahon par bhatakne ki.

Nayi raaho'n ki adaawat se ishq karo

Saahil pe kashti utraao, bahne do use
Bahakne do kashtii ko dil bhar.... bahkaane wali leharo'n se ishq karo

Tuesday 12 July 2016

बंदिशें

दरख्तों पर कुछ लिखे ख्वाब दिखायी देते हैं
जो मिले नहीं अब तलक, 
दूर से वो जवाब सुनाई देते हैं...

तुम क्या समझो उनके एहसासों को
जिनके खोये हुए अफ़साने
ख़ुद आकर उनको बधाई देते हैं

बंदिशों के मोहताज़ हैं जो लोग
खुले आसमाँ में भी उनको
अँधेरे कारागार दिखाई देते हैं

ज़िंदगी मिली हो हमेशा ख्वाबों में,
मिल जाये अगर जिंदगी
तो हज़ार खड़े सिर्फ सवाल दिखाई देते हैं