हे ! जननी...
इस जीवन का है भार बड़ा
ये जीवन तेरा साया है,
तेरे साये की छाँव तले....
रहना है....कर उपकार बड़ा ।
हे ! जननी ...
ज्यों पंछी बिना परों के हों,
ज्यों रात अमावस वाली हो..
ज्यों सूर्यग्रहण का दिन हो वो
तेरे बिन मैं हूँ, रिक्त घड़ा ।
हे ! जननी..
तूने पाला, तूने समझा,
तूने ही मुझे सँवारा है...
तेरे ऊपर क्या लिक्खूँ मैं
नतमस्तक हूँ, एकान्त खड़ा
हे! जननी....
इस जीवन का है भार बड़ा
ये जीवन तेरा साया है,
तेरे साये की छाँव तले....
रहना है....कर उपकार बड़ा ।
हे ! जननी ...
ज्यों पंछी बिना परों के हों,
ज्यों रात अमावस वाली हो..
ज्यों सूर्यग्रहण का दिन हो वो
तेरे बिन मैं हूँ, रिक्त घड़ा ।
हे ! जननी..
तूने पाला, तूने समझा,
तूने ही मुझे सँवारा है...
तेरे ऊपर क्या लिक्खूँ मैं
नतमस्तक हूँ, एकान्त खड़ा
हे! जननी....
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