मुझे गुलाबी रंग के फूलों पर प्रेम आता था
पंखुडियों को
मुस्कराकर देर तक निहारते रहना..
जमीन हल्की गीली होती थी जहाँ
एक ख्याल..
फूलों के हक में कौंध जाता था
अंगुलियों पर काँटों ने दस्तखत किये थे
अंगुलियाँ अपने ही जिस्म पर खरोंचे देती हैं
पगडंडियों पर पाँवों में आँखें उग आती हैं
पंखुडियों को
मुस्कराकर देर तक निहारते रहना..
जमीन हल्की गीली होती थी जहाँ
एक ख्याल..
फूलों के हक में कौंध जाता था
अंगुलियों पर काँटों ने दस्तखत किये थे
अंगुलियाँ अपने ही जिस्म पर खरोंचे देती हैं
पगडंडियों पर पाँवों में आँखें उग आती हैं
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ReplyDeleteसुंदर :))
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