Monday 6 March 2017

आख़िरी छोर

डर तो नहीं लगता..
कि मौत आयेगी
पर कैसे आयेगी..
ये ख्याल पलता है
ना जाने कौन सा मोड़ हो..
जिंदगी का वो कौन सा ख़ास दौर हो..
कि दौड़कर वो जब आ जायेगी ..
खींचेगी हाथ, और गले लगायेगी

बहते हैं आँसू जब कोई प्यारा मिलता है..
बिछड़ा हो मुद्दत से.. वो जब दोबारा मिलता है..
कुछ "घर" जैसे एहसास मिल जाते हैं
जब उनके क़रीब हम जाते हैं
कुछ यही एहसास मुझे छूना है
मरना नहीं, बस मौत को पाना है
पल पल करीब आ रही है
पीछा करती.. नज़दीक आ रही है
वो भी देखकर मुझे मुस्कुराती होगी..
लाऊँगी इसे... आसमाँ को बताती होगी

जब जिंदगी की पकड़ कमजोर होगी..
फ़लक पे बेतहाशा मेरी दौड़ होगी
पीछे छोड़,, हर ख्याल और शोर..
मेरी मंज़िल मेरा आखिरी छोर होगी !!

1 comment:

  1. Really so Gd.....Such a nice poetry nd Jane maut kab AA jayegi??😘

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