Thursday 27 April 2017

वो एक रात

किसी रात आकर झाँक लेना
शायद दरवाज़ा बंद हो, तुम आवाज देना
नींद गहरी ना हुई तो उत्तर मिल जायेगा
अंदर तो आओ, कोई कहकर तुम्हें बुलायेगा
आ जाओ अगर, सुकून से बैठना सिरहाने..
बैठी रहना, सो जाने तक, गहरी नींद आने तक
किसी रात आकर झाँक लेना, आवाज देना
ना हो कोई आहट.. तो बंधन तोड़ देना
जान लेना, कोई सपना अधूरा रह गया होगा
सोने वाला, उसे पाने में खो गया होगा
तुम आना...
कोई सफेद, बर्फ सी ठंडी चादर डालकर जिस्म पर
रख देना किसी पीपल के ठंडे साये में
पत्तों का पंखा बना झलना आहिस्ते से..
मौका मिला गर सपने पूरे करने का..
असर होगा उस पर, तुम्हारे बुलाने का
उठना होगा गहरी नींद से...

तुम मौका हाथ से मत जाने देना
ऐ ज़िंदगी! 
तुम मना लेना उसे.. सोने के बाद भी सोने न देना..
फिर किसी रात जाकर झाँक लेना...!

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