Sunday 6 November 2016

तुम वो कहानी लिखो..

मैं किरदार हूँ जिसका.. तुम वो कहानी लिखो

लिख दो तकदीर मेरी किसी कागज के टुकड़े पर..
लगा दो रंग मेरे कागजी मुखड़े पर ...
सुन लो उन आवाज़ों को जो कैद हैं काली स्याही में..
बिखरी बिखरी साँसों की रवानी लिखो..
तुम वो कहानी लिखो ....

रहा गाफ़िल मैं अपने एहसासों से
करता रहा उम्मीद ठंडक की.. सिर्फ प्यासों से..
तुम लिखो गीली मिट्टी.. बारिश सुहानी लिखो
तुम वो कहानी लिखो ...

मेरे चंद जख्मों की परवाह न करना
कुरेद देना फिर से, हाँ, आह न करना..
फिर सीकर दोबारा लफ्ज़ों में
जख्मों की जवानी लिखो,
तुम वो कहानी लिखो

वो किताब तुम सरेआम कर देना
महफिल में मुझे बदनाम कर देना
कह देना मुझे पागल.. दीवानेपन की निशानी लिखो

तुम वो कहानी लिखो
मैं किरदार हूँ जिसका

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