Tuesday 12 July 2016

बंदिशें

दरख्तों पर कुछ लिखे ख्वाब दिखायी देते हैं
जो मिले नहीं अब तलक, 
दूर से वो जवाब सुनाई देते हैं...

तुम क्या समझो उनके एहसासों को
जिनके खोये हुए अफ़साने
ख़ुद आकर उनको बधाई देते हैं

बंदिशों के मोहताज़ हैं जो लोग
खुले आसमाँ में भी उनको
अँधेरे कारागार दिखाई देते हैं

ज़िंदगी मिली हो हमेशा ख्वाबों में,
मिल जाये अगर जिंदगी
तो हज़ार खड़े सिर्फ सवाल दिखाई देते हैं

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